Merits Of Hindu नियमानुसार 36 गुण होते है ।
जो आपको हमेशा खुशहाल और हमेशा जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है आइए आज जानते है कि किन गुणों से कौनसा फायदा होता है ओर कौनसे गुण कब लागू होते है
Merits Of Hindu वैदिक परम्परा में विवाह के लिए 36 गुणों का मिलान वर और वधू के बीच एक मजबूत ओर स्थाई संबंध के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है 36 में से गुण मिलना दुर्लभ गुण मिलना दुर्लभ माना जाता है ।
Merits Of Hindu ये गुण,भाग्य ओर रिश्तों को प्रभावित करते है
लड़का और लड़की के गुण ,भाग्य ओर रिश्तों को प्रभावित करते है जब विवाह की बात आती है तो गुणों के मिलान की एक विस्तृत प्रक्रिया होती है वैदिक ज्योतिष के माध्यम से होने वाले वर और वधू की कुंडली का अध्ययन किया जाता है शादी के लिए कुंडली मिलाते समय ध्यान 36 गुणों पर होता है जिन्हें आठ श्रेणियों में विभाजित किया जाता है इन्हें अष्टकूट के रूप में माना जाता है ।
Merits Of Hindu विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार
गुणों की प्रत्येक श्रेणी जीवन और अनुकूलता के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार करती है इससे साफ होता है कि युगल एक साथ कैसे अपना जीवन बिता सकते है ।
Merits Of Hindu पहली श्रेणी को वर्ण कहते है
पहली श्रेणी को वर्ण कहते है यह वर और वधू के बीच समानता या असमानता को दर्शाती है दूसरी श्रेणी को वश्य कहते है यह वर वधू के बीच आकर्षण ओर अनुकूलता को दर्शाती है तीसरी श्रेणी को तारा कहते है यह वर और वधू के भाग्य ओर स्वास्थ्य पर प्रभाव को दर्शाती है चौथी श्रेणी को तारा कहते है यह वर और वधू के भाग्य ओर स्वास्थ्य पर प्रभाव को दर्शाती है चौथी को योनि कहते है यह वर वधू के स्वभाव और व्यवहार को दर्शाती है ।
Merits Of Hindu वर और वधू के ग्रहों के बीच अनुकूलता
पांचवीं श्रेणी को ग्रह मैत्री कहते है यह वर और वधू के ग्रहों के बीच अनुकूलता को दर्शाती है छठी श्रेणी को गण मैत्री कहती है यह वर और वधू के स्वभाव और रुचियों को दर्शाती है सातवीं श्रेणी को भक्तु कहते है यह वर और वधू के बीच प्रेम और सामंजस्य को दर्शाता है आठवीं श्रेणी को नाडी कहते है यह वर और वधू के संतान सुख और स्वास्थ्य पर प्रभाव को दर्शाती है ।
Merits Of Hindu 36 में से 36 गुण मिलना
वैदिक परम्परा में विवाह के लिए 36 गुणों का मिलान वर वधू के 36 गुणों का मिलना आवश्यक है इसीलिए इनमें से कोई भी गुण हो जो नहीं होने पर वह काम नहीं आता है ।
हिंदू विवाह अपने अपने विशेष देवी देवताओं को आधार मानकर किया जाता है । हिंदू धर्म में विभिन्न पंथ के लोगों को अपने अपने देवी देवताओं के अनुसार किसी समाज में 5 फेरे लिए जाते है और किसी समाज में 7 फेरे लिए जाते है ।
Merits Of Hindu
हिंदू विवाह में बिश्नोई पंथ में गुरु जम्भेश्वर भगवान के समक्ष पांच फेरे लिए जाते है जिसमें समस्त फेरे में वर आगे चलता है और वधू पीछे चलकर फेरे लेती है तथा अन्य समाज में पांचों फेरो में पहले वर आगे चलता है और फिर वधू आगे चलती है यह परम्परा है ।
हिंदू धर्म में विशेष अवसरों पर परंपरा के अनुसार लोग मुहूर्त निकाल कर विवाह करते है जब मुहूर्त के अनुसार विवाह का जब योग होता है तब ही शादी होती है नहीं तो नहीं होती है बिश्नोई समाज में गुरु जम्भेश्वर की परम्परा के अनुसार कोई मुहूर्त नहीं होता है जब चाहे शादी हो जाती है । ओर जब फुर्सत मिले ठंडे दिनों में विवाह कर देते है अक्सर पूर्व में लोग गर्मियों में विवाह करते थे जो आज शारदीय समय में करते है ।